खुद से मुलाकात
नेहा एक शांत और जिज्ञासु लड़की थी। हर समय दुनिया को समझने की कोशिश में लगी रहती थी। लेकिन एक चीज़ थी जो उसने कभी खुद से भी नहीं पूछी थी—खुद को समझने की कोशिश।
एक रात, जब वह अपने कमरे में अकेली थी, खिड़की से चाँदनी उसके चेहरे पर गिर रही थी। अचानक, उसके मन में एक सवाल उठा—"मैं खुद को कितना जानती हूँ?" वह बचपन से दूसरों की उम्मीदों के अनुसार चलती रही थी। स्कूल, कॉलेज, दोस्त—सबकी बातें सुनी, लेकिन कभी अपने दिल की आवाज़ नहीं सुनी।
उसने धीरे-धीरे खुद को महसूस करना शुरू किया। उसकी उंगलियाँ, उसकी साँसें, उसका धड़कता हुआ दिल—सब जैसे उसे एक नई यात्रा पर ले जा रहे थे। यह एक नई दुनिया थी, जिसमें वह खुद के सबसे करीब थी।
उस रात के बाद, नेहा में एक आत्मविश्वास आ गया। उसने खुद से प्रेम करना सीख लिया, अपनी इच्छाओं को समझना और उन्हें स्वीकार करना सीख लिया। अब वह सिर्फ दुनिया की नहीं, बल्कि अपनी भी सुनने लगी थी।
क्योंकि असली खुशी तब होती है जब हम खुद को जानने लगते हैं, बिना किसी डर के, बिना किसी झिझक के।
अगर आप इसमें कोई और विशेषता जोड़ना चाहते हैं, तो बता सकते हैं! 😊
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